Monday, January 28, 2019

सेंसेक्स 369 अंक गिरकर 35657 पर बंद, निफ्टी में 119 प्वाइंट की गिरावट

शेयर बाजार सोमवार को भारी नुकसान में रहा। सेंसेक्स 369 अंक गिरकर 35657 पर बंद हुआ। निफ्टी की क्लोजिंग 119 प्वाइंट की गिरावट के साथ 10,662 पर हुई। बैंकिंग, ऑटो और मेटल शेयरों में बिकवाली का दबाव ज्यादा रहा। ब्रोकर्स का कहना है कि कुछ बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे कमजोर रहने और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितता की वजह से निवेशकों के मन में चिंता है।

इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस में 6.5% गिरावट
सेंसेक्स के 30 में से 23 और निफ्टी के 50 में से 36 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। बीएसई पर 19 में से 17 सेक्टर इंडेक्स नुकसान में रहे। फाइनेंस इंडेक्स 2.1% लुढ़क गया। 

एनएसई पर अडानी पोर्ट्स का शेयर 12.53% गिरावट के साथ बंद हुआ। इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस का शेयर 6.51% नुकसान में रहा। कारोबार के दौरान वोडाफोन-आईडिया के शेयर की क्लोजिंग 4.87% नीचे हुई। इंट्रा-डे में यह 13% गिरकर 28.45 रुपए के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था।

जी मीडिया के शेयर में 19% गिरावट
एस्सेल ग्रुप की कंपनी जी एंटरटेनमेंट का शेयर 16%, एस्सेल प्रोपैक 13.5% और डिश टीवी 8% फायदे में रहा। शुक्रवार को शेयर 33% गिरने के बाद एस्सेल ग्रुप ने रविवार को कहा कि कर्जदाता प्रमोटरों को डिफॉल्टर घोषित नहीं करेंगे। प्रमोटरों ने कर्ज लेने के लिए बैंकों, एनबीएफसी और म्यूचुअल फंडों के पास शेयर गिरवी रखे हैं। इस ऐलान से शेयर में तेजी आई। हालांकि, ग्रुप की 2 अन्य कंपनियों जी मीडिया ने 19% और जी लर्न ने 6% नीचे कारोबार खत्म किया।

शेयर बाजार में लगातार दूसरे सत्र में गिरावट
सेंसेक्स शुक्रवार को 169 अंक की गिरावट के साथ 36,025.54 पर बंद हुआ था। निफ्टी की क्लोजिंग 69.25 प्वाइंट नीचे 10,780.55 पर हुई थी। उस दिन विदेशी निवेशकों ने 689.28 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे थे। घरेलू निवेशकों ने 147.35 करोड़ की बिकवाली की थी।

मैच जीतने के बाद जोकोविच ने नडाल की तारीफ करते हुए कहा कि चोट से वापस आकर खेलना बेहद कठिन है। आपने सभी को फाइटिंग स्पिरिट के बारे में सिखाया, उसके लिए बहुत शुक्रिया। पिछले चार में से तीन टाइटल जीतना बेहतरीन अनुभव है। जोकोविच ने अपनी टीम और परिवार का भी शुक्रिया जताया।

वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को तीन टेस्ट की सीरीज के पहले मैच में 381 रन से हरा दिया। इस मैच में विंडीज के लिए कप्तान जेसन होल्डर ने दोहरा शतक लगाया और दो विकेट भी लिए। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था। इस प्रदर्शन के बाद वे आईसीसी रैंकिंग में नंबर-1 ऑलराउंडर बन गए। वे गारफील्ड सोबर्स के बाद इस पायदान पर पहुंचने वाले अपने देश के पहले ऑलराउंडर बने। सोबर्स 1974 में नंबर-1 ऑलराउंडर थे।

होल्डर ने करियर की सर्वश्रेष्ठ 440 रेटिंग अंक हासिल किए। रैंकिंग में बांग्लादेश के शाकिब अल हसन दूसरे पायदान पर हैं। हसन के 415 अंक हैं। तीसरे स्थान पर भारत के रविंद्र जडेजा हैं। उनके 387 अंक हैं।

सोबर्स के जमाने में विपक्षी टीम के स्तर और अन्य खिलाड़ियों के आंकड़े को ध्यान में नहीं रखा जाता था। रैंकिंग प्रणाली नहीं थी। पूर्व क्रिकेटरों की राय और प्रदर्शन के आधार पर सोबर्स को सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर कहा जाता था। वे 1974 में संन्यास लेने के समय टॉप पर थे।

Thursday, January 17, 2019

केरलः बिशप मुलक्कल के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाली ननों का ट्रांसफ़र आदेश मानने से इनकार

केरल में बलात्कार के आरोप में घिरे जालंधर के बिशप फ़्रैंको मुलक्कल का विरोध करने वाली पांच में से चार ननों को कोट्टयम ज़िले में उनके कॉन्वेंट छोड़ने का निर्देश दिया गया है.

लेकिन, ये नन पूरी तरह से निडर हैं. इनमें से एक नन सिस्टर अनुपमा ने बीबीसी को बताया, "हम डरे हुए नहीं हैं. अगर वे हमें जाने के लिए कह रहे हैं तो हम नहीं जाएंगे. यदि वे हमें बर्खास्त कर देते हैं तो उन्हें करने दें. कोई बात नहीं. हम यहीं रहेंगे."

सिस्टर अनुपमा, सिस्टर एल्फी, सिस्टर जोसेफ़िन और सिस्टर एनसिटा ने कोच्चि में एक सार्वजनिक मंच से जालंधर के बिशप फ़्रैंको मुलक्कल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी जिससे 'सेव आवर सिस्टर्स' आंदोलन का नाम दिया गया था.

22 सितंबर को बिशप फ़्रैंको मुलक्कल को 30 घंटे की पूछताछ का साथ जालंधर से गिरफ़्तार किया गया था. बिशप फ़्रैंको पर साल 2014 से 2016 के बीच एक नन के साथ बलात्कार करने का आरोप है.

सिस्टर एनसिटा को केरल के कुन्नूर, सिस्टर जोसफ़ी को झारखंड, सिस्टर एल्फ़ी को बिहार और सिस्टर अनुपमा का तबादला पंजाब में किया गया है.

इन चारों ननों को लगभग एक जैसी ही चिट्ठी दी गई है. मिशनरी जीसस की सुपीरियर जनरल और मदर सुपीरियर रेजिना कदमथोट्टु ने बीबीसी से कहा, 'सच जनता के सामने आ रहा है'.

ननों का मानना है कि ये ट्रांसफ़र का फ़ैसला उनपर एक तरह का दबाव बनाने का तरीका है जिससे वे रेप का शिकार हुई नन को बिशप फ़्रैंको मुलक्कल के खिलाफ़ केस वापस लेने के लिए तैयार करें.

सिस्टर अनुपमा ने कहा, '' हम इस केस की चश्मदीद हैं. हमारे लिए हमेशा केस के लिए सफ़र करना मुश्किल होगा. ऐसा करना हमारे ऊपर केस को वापस लेने का दबाव बनाने जैसा है. ''

फ़ादर अगस्टीन को चर्च ने कहा है कि या तो वे 'सेव ऑर सिस्टर' आंदोलन से ख़ुद को अलग कर लें या फ़िर कार्रवाई झेलने को तैयार रहें.

उन्होंने बीबीसी हिंदी से कहा, ''ये सिस्टर केस की गवाह हैं. उन्हें इस तरह अलग करना प्रतिशोध से भरा काम है. ये साफ़ संदेश दिया जा रहा है कि चर्च ऐसे विरोधों को बर्दाश्त नहीं करेगा. और ऐसा तब किया जा रहा है जब पोप फ़्रांसिस ने अपने क्रिसमस संबोधन में साफ़ कहा था कि चर्च यौन उत्पीड़न क़तई बर्दाश्त नहीं करेगा.''

कैथोलिक बिशप काउंसिल फ़ॉर वुमेन की पूर्व कमिश्नर वर्जीनिया सलडान्हा ने कहा, ''वे लोग अपने पावर का इस्तेमाल ख़ुद को बचाने के लिए कर रहे हैं.

ननों की प्रमुख 'मदर सुपीरियर' जिन्होंने ट्रांसफ़र के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, वो ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के दबाव में काम कर रही हैं. मदर सुपीरियर बिशप मुलक्कल के अंतर्गत काम कर रही हैं और वो जो भी कर रही हैं वो बिशप को बचाने के लिए कर रही हैं. ''

''मदर सुपीरियर जो भी कर रही हैं वो महिला विरोधी है. लेकिन पितृसत्तात्मक समाज में ऐसा ही होता है. जहां महिलाएं महिला के मुकाबले पुरूष को वरीयता देती हैं.''

Wednesday, January 9, 2019

शाह फ़ैसलः 'मैं कश्मीर की राजनीति का हिस्सा बनना चाहूंगा'

साल 2009 में कश्मीर के सिविल सेवा परीक्षा टॉपर आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. उन्होंने ट्विटर के ज़रिए अपने इस्तीफ़े की जानकारी दी.

अपने इस्तीफ़े पर शाह फ़ैसल ने श्रीनगर में बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर से विस्तार से बातचीत की और इस बात के संकेत दिए कि वे राजनीति में क़दम रखने की योजना बना रहे हैं.

''मैंने कभी नहीं कहा कि नौकरी नहीं छोड़ सकता. मेरे लिए हमेशा नौकरी एक इंस्ट्रूमेंट था, लोगों की ख़िदमत करने का. अवाम की ख़िदमत कई तरीक़ों से हो सकती है, जो भी पब्लिक सर्विस में होते हैं, वो सब लोगों की ख़िदमत करते हैं. पिछले साल-दो साल से हमने जिस तरह से मुल्क में हालात देखे, जम्मू-कश्मीर में देखे. कश्मीर में हत्याओं का एक सिलसिला देखने को मिला.''

''हिंदू-मुस्लिम के बीच बढ़ते अंतर को देखा. रोंगटे खड़े करने वाले वीडियो हमने देखे. गौरक्षा के नाम पर उपद्रव देखने को मिला. ये तो कभी देखने को नहीं मिला था. अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश की कोशिशें हमने देखीं. ''

'ऐसे में एक ऑफ़िसर का नौकरी में रहना संभव नहीं था. और समाज के नैतिक सवालों से अलग हो कर रहना और उनपर रिएक्ट नहीं करना, मेरे लिए संभव नहीं था. मैंने चीज़ों पर पहले भी बोला है, लेकिन अब वो वक़्त आ चुका था कि इस खुलकर बोलने की ज़रूरत थी, ये काम नौकरी छोड़कर ही किया जा सकता था.''

''सिविल सर्विस कोड की बात जब होती है, तो उसके मुताबिक़ अभिव्यक्ति की आज़ादी थोड़ी प्रभावित होती है. राजनीति पब्लिक सर्विस का एक्सटेंशन है. अब तक मैं राजनेताओं के साथ काम कर रहा था. ''

''अब ख़ुद पॉलिटिक्स कर सकता हूं, एक्टिविस्ट बन सकता हूं. अवाम की बात करना और अवाम का काम करना, पॉलिटिक्स ये दो चीज़ें मुहैया कराती हैं. मैं सोच रहा हूं कि अगर मुझे मौक़ा मिलता है तो पॉलिटिक्स में जा सकता हूं. ''

क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी में शामिल होने पर विचार

''अभी ये तय नहीं है कि किस पार्टी से जुड़ूँगा. हर पार्टी की अपनी लीगेसी है. अगर कभी पॉलिटिक्स में गया तो उस पार्टी से जुड़ूँगा जो मुझे राज्य के इस मौजूदा हालात पर खुलकर बात करने की आज़ादी देगी. ''

''मैं ऐसी पार्टी का हिस्सा बनना चाहूँगा जिसमें मुझे अल्पसंख्यकों के साथ, कश्मीरियों के साथ हो रही राजनीति को लेकर खुलकर बात करने का मौक़ा मिले. मैं अपने विकल्पों के बारे में सोच रहा हूं और जल्द ही इसपर फ़ैसला करूंगा.''

ये पढ़ेंः कश्मीरी लड़कियों में सिविल सेवा का बढ़ता क्रेज़

''मेरे लिए रीजनल पार्टी में जाना ज़्यादा सही होगा. मैं कश्मीर की बात करना चाहता हूं. हमें समझना होगा कि संसद की मुहर के बिना कोई भी तब्दीली नहीं की जा सकती. मैं संसद में कश्मीरियों की आवाज़ बनना चाहता हूं.''

''कई लोग मुझसे कह रहे हैं कि नई पार्टी बनानी चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि अभी राज्य को एकता की ज़रूरत है. जितनी ज़्यादा पार्टियां बनेंगी उतना ही ज़्यादा जनमत विभाजित होगा.''

ये ज़रूरी नहीं कि आप एक नौकरी में 30 साल या 50 साल तक रहें. 10 साल में मुझे आईएएस रहते हुए बेहतरीन अवसर मिले. मैंने संस्थाओं को समझा, लोगों के लिए काम किया, प्रक्रिया समझने का मौक़ा मिला. दुनिया में हर कोई नौकरी बदलता है. मैंने इस लिए ये पद छोड़ा क्योंकि पद पर रहते हुए कई मुद्दों पर बात करना मेरे लिए ठीक नहीं होता.''

''अब तक हमने झूठ की राजनीति देखी है, मैं कुछ छोड़कर राजनीति में आ रहा हूं. मैं अपने आदर्शों को अपने विजन को राजनीति में लाना चाहता हूं अगर ऐसा मौक़ा नहीं मिल पाता है तो राजनीति मेरे लिए आख़िरी पड़ाव नहीं है.''

''साख की बात करूं तो राज्य में अगर मैं राजनीति का हिस्सा नहीं बनूंगा तो कोई और बनेगा, कश्मीर को बेहतर लोगों और नौजवानों की ज़रूरत है. यही सोचकर मैं राजनीति में क़दम रखने की सोच रहा हूं.''

''मौजूदा कश्मीर में लोगों के बीच एक कंफ़्यूजन की स्थिति है. ये बेहद ज़रूरी है कि लोगों में यक़ीन लाया जाए कि ये लोग कश्मीर की बात करेंगे. जबतक मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टियां सच नहीं बोलना शरू करेंगी तब तक कश्मीर में उनका भविष्य धुंधला रहेगा.''

Wednesday, January 2, 2019

हिंदू राम मंदिर के लिए अंनत काल तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता: विहिप

विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि राम मंदिर को लेकर हिंदू समाज अनंत काल तक न्यायालय के फ़ैसले का इंतज़ार नहीं कर सकता है और भव्य मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ करने के लिए क़ानून बनाया जाना चाहिए.

विहिप की ये प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री के उस बयान के बाद आई है जिसमें नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश की बात क़ानूनी प्रक्रिया के ख़ात्मे के बाद ही सोची जा सकती है.

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने कहा है, "क़ानूनी प्रक्रिया समाप्त होने दीजिए. क़ानूनी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सरकार के तौर पर हमारी जो भी ज़िम्मेदारी है, हम उसके लिए पूरी कोशिश करेंगे."

नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार के ख़त्म होने के कुछ ही देर बार आरएसएस के सह सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसाबले ने बयान जारी कर कहा कि जनता सरकार से उम्मीद करती है कि वो राम मंदिर पर किए गए वायदे को अपने इसी कार्यकाल में पूरा करे.

होसाबले ने मंगलवार को जारी लिखित बयान में कहा है कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए संविधान के दायरे के भीतर सभी संभावनाओं को तलाशने का वायदा किया था और जनता ने बीजेपी पर भरोसा कर उसे पूर्ण बहुमत दिया इसलिए सरकार को अपने इसी कार्यकाल में इसे पूरा करना चाहिए.

हालांकि आरएसएस के इस बयान में मंदिर निर्माण के लिए क़ानून की बात नहीं की गई है लेकिन संघ प्रमुख ख़ुद और संगठन के दूसरे बड़े अधिकारी सुरेश सोनी अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश या संसद में क़ानून लाने की बात कहते रहे हैं.

आरएसएस के बयान के कुछ घंटो बाद विहिप ने इस मामले पर दिल्ली में एक प्रेस वार्ता की और क़ानून लाने की बात को फिर से दोहराया.

जब बीबीसी ने विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से पूछा कि बीजेपी-आरएसएस-विहिप इसी मामले पर अलग-अलग तरह की बातें क्यों कर रहे हैं? क्या ये अयोध्या मुद्दे को गर्म रखने की कोशिश है?

आलोक कुमार ने जवाब में कहा कि नहीं ये कोई लिखित सक्रिप्ट का हिस्सा नहीं है और चूंकि वो राम मंदिर आंदोलन से दशकों से जुड़े रहे हैं तो प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देना लाज़िमी है.

उन्होंने फिर दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई का होना किसी तरह की बाधा नहीं और सरकार को इस मामले पर संसद में क़ानून लाना चाहिए. वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससीएसटी उत्पीड़न क़ानून में बदलाव और फिर संसद में लाये गए क़ानून से जोड़ते हैं और कहते हैं कि जब सरकार उस मामले में ऐसा कर सकती है तो फिर राम मंदिर निर्माण के लिए क्यों नहीं.

हालांकि हिंदूत्ववादी संगठन मोदी सरकार से मंदिर पर क़ानून लाने की बात कह रहे हैं लेकिन संविधान के जानकार पहले भी कह चुके हैं कि पहले तो ऐसा कोई भी विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाएगा क्योंकि सरकार को वहां बहुमत नहीं और दूसरे अगर ऐसा हो भी जाता है तो वो सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज हो जाएगा क्योंकि वो संविधान की मूल भावनाओं के विपरीत होगा.

विहिप का, जो राम मंदिर निर्माण को लेकर कुछ महीनों से आंदोलन चला रही है, दावा है कि अगर सरकार संसद में इस मामले पर बिल लाती है तो कोई भी राजनीतिक दल उसका विरोध करने की स्थिति में नहीं होगा. संगठन इस मामले पर 350 सांसदों ने मिलने का दावा भी करती है हालांकि अलोक कुमार ने उन सदस्यों के नाम बताने से इंकार कर दिया जिन्होंने उनसे राम मंदिर पर क़ानून का समर्थन देने का वादा किया है.

पिछले साल दिसंबर में बीजेपी के सहयोगी दल लोकजनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने बयान दिया था कि राम मंदिर एनडीए के एजेंडे का हिस्सा नहीं है. यानी मोदी सरकार में शामिल सभी दल इस मामले पर सरकार के साथ नहीं.