Thursday, February 7, 2019

भारत के लिए अब करो या मरो जैसी हालत

एकदिवसीय सिरीज़ 4-1 से हारने के बाद तिलमिलाई न्यूज़ीलैंड ने तीन टी-20 मैचों की सिरीज़ के पहले मैच में भारत को 80 रन से करारी मात दी.

दोनो टीमों के बीच दूसरा टी-20 मुक़ाबला ऑकलैंड में शुक्रवार को खेला जाएगा.

भारत के लिए अब करो या मरो वाले हालात है.

अगर ऑकलैंड में जीत तो सिरीज़ में भारत बना रहेगा, अगर हारा तो न्यूज़ीलैंड के पास 2-0 की अजेय बढ़त होगी.

दूसरी तरफ न्यूज़ीलैंड हर हालत में दूसरा टी-20 मुक़ाबला जीतना चाहेगा.

इससे उसे एकदिवसीय सिरीज़ में मिली हार का ग़म कुछ कम होगा.

न्यूज़ीलैंड ने जिस अंदाज़ में पहला टी-20 मुक़ाबला जीता उसके बाद तो भारत के कप्तान रोहित शर्मा भी यह कहने को मजबूर हो गए कि विरोधी तीनों विभाग में भारी पड़े.

न्यूज़ीलैंड ने पहले तो निर्धारित 20 ओवर में 6 विकेट पर 219 रन बनाकर भारत पर मानसिक दबाव बनाया.

यह उसका टी-20 क्रिकेट में भारत के ख़िलाफ सर्वाधिक स्कोर है.

उसके बाद न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ो ने पूरी भारतीय टीम को 19.2 ओवर में 139 रन पर ढेर कर दिया.

80 रनों से भारत हारा, और यह न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ टी-20 क्रिकेट में रनों की लिहाज़ से सबसे बड़ी हार है.

हैरानी की बात है कि भारतीय टीम वेलिंग्टन में कहने को आठ बल्लेबाज़ो के साथ मैदान में उतरी थी.

भारतीय टीम में फिनिशर के तौर पर ऋषभ पंत, महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक और हार्दिक पांड्या थे.

अब सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि एक ही टीम में क्या तीन विकेटकीपर बल्लेबाज़ खेलने चाहिए.

भारत को छोड़ कर शायद ही पूरी दुनिया में क्रिकेट खेल रही किसी टीम का संयोजन ऐसा हो.

दरअसल ऐसा होने से टीम का क्षेत्ररक्षण बेहद कमज़ोर हो जाता है.

दिनेश कार्तिक मूल रूप से विकेटकीपर होने के कारण बाउंड्री लाइन के पास आते कैच नही पकड़ पाते.

दूसरी तरफ ऋषभ पंत भी बहुत तेज़ तर्रार फ़ील्डर नही हैं.

कुछ क्रिकेट खिलाड़ियो और समीक्षकों का मानना है कि अगर ऋषभ पंत विश्व कप की टीम में ज़रूर होंगे तो फिर उन्हे ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ खेली गई एकदिवसीय सिरीज़ में आराम क्यों दिया गया.

वेलिंग्टन में ही भारत एकदिवसीय मुक़ाबले में एक समय 18 रन पर चार विकेट गंवाने के बावजूद 35 रन से हार गया था लेकिन टी-20 मुक़ाबले में न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों ने भारत को वापसी का मौक़ा नही दिया.

65 रन पर चार विकेट खोने के बाद भारत लगातार झटके खाता रहा.

टिम साउदी, लोकी फर्गयूसन, ईश सोढ़ी और मिचेल सैंटनर ने ना तो भारतीय बल्लेबाज़ो को खुलकर बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा दिया और ना ही विकेट पर जमने का.

गेंदबाज़ी में हार्दिक पांड्या, खलील अहमद और भुवनेश्वर कुमार की तेज़ गेंदबाज़ो की तिकडी के अलावा स्पिन जोड़ी कृणाल पांड्या और युज़वेन्दर चहल सभी नाकाम रहे.

खलील अहमद ने जिस तरह से गेंद को पटकने और शॉर्ट पिच करने की कोशिश की उससे न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज़ो का ही काम आसान हुआ.

भुवनेश्वर कुमार अपनी स्विंग गेंदो के लिए जाने जाते है लेकिन इन दिनों उनकी गति तो देखने को मिल रही है लेकिन स्विंग नही.

एक बार न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज़ खुले तो उसके बाद वह किसी के रोके ना रुके.

219 रनों के स्कोर में उन्होंने 14 छक्के और 14 ही चौक्के जमाए.

सभी शॉट्स इतने ताक़तवर और सही टाईमिंग के साथ थे कि भारतीय फिल्डर्स के पास उन्हें बाउंड्री लाइन से बाहर जाते देखने के अलावा कोई चारा नही था.

ऐसे में सलामी बल्लेबाज़ टिम सैफर्ट जिन्होंने 6 छक्के और 7 चौक्को की मदद से केवल 43 गेंदो पर 84 रन बनाए उनसे एक बार फिर बचकर रहना होगा.

इससे बाद कोलिन मुनरो, कप्तान केन विलियमसन, रोस टेलर और मिचेल सैंटनर को भी रोकना होगा.

जीत से खुश न्यूज़ीलैंड के कप्तान केन विलियमसन टीम में शायद ही कोई बदलाव करे.

वहीं भारत के पास कुलदीप यादव, केदार जाधव, सिद्धार्थ कौल और मोहम्मद सिराज को आज़माने का अवसर है लेकिन यह सब कप्तान रोहित शर्मा की पसंद पर निर्भर करता है.

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